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इन दिनों
ईमानदार थे पिता
तीन छोटी कविताएँ
पिता का सफर

 

तीन छोटी कविताएँ

एक

मुझे भेजते रहे
और स्वयं खाली होते रहे
पिता आज भी खाली है

आज जब मैं भरा हुआ हूँ
पिता को अपने खाली होने का मलाल नहीं ज़रा भी
वे खुश हैं कि मैं भरा हुआ हूँ

दो

पिता है तो सब कुछ है
हवा पानी धरती आकाश
धन
चैन
नींद
सपने
सपनों में पंख...

तीन

मुझे लगता है
पिता पर लिखी जा सकती है
लम्बी कविता
रामायण महाभारत से लम्बी
पृथ्वी की परिधि से भी
आसमान से ऊँची...

७ अप्रैल २०१४

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