अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में दिनकर कुमार की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
इस आत्महत्या के युग में
ऋण का मेला
भूमंडलीकरण
मायावी चैनलों से चौबीस घंटे
वायलिन
विदर्भ
सारा देश रियल इस्टेट

  सारा देश रियल इस्टेट

सारा देश रियल इस्टेट
मानचित्र पर क्यों रहें
धान के लहलहाते हुए खेत
कल-कल बहती हुई नदियाँ
ताल-तलैया, झील-पोखर
हरियाली का जीवन

सारा देश रियल इस्टेट
उन्हें उजाडऩे की आदत है
वे उजाडक़र दम लेंगे
फसल की जगह फ्लैट उगाएँगे
एक्सप्रेस वे बनाएँगे
रिसॉर्ट और फन सिटी बसाएँगे

सारा देश रियल इस्टेट
कैसी माटी किसकी माटी
कैसी धरती कैसी माता
कैसा देश किसका तंत्र
भूमाफिया का देश
बिल्डर का तंत्र
बाकी प्रजा रहे दीन-हीन
उनके अधीन उनके अधीन।


१६ दिसंबर २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter