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वास्तविक खुशी
(त्यागपत्र देकर वापस देश लौटते हुए)

घर पर हर कोई खुशी से फूला ना समाया है
कई वर्षों के बाद आज दिन खुशी का आया है।

एक दिन भी आराम से कटता नहीं था
अकेलेपन का साया सर से हटता नहीं था।
अपने करीबों को सचमुच करीब पाया है...

जुदाई की वो घड़ियाँ कितनी लगती थी बड़ी
बस हर समय हमको नजर आती थी घड़ी।
उस घड़ी को विदा करने का समय आया है...

शुरू में सोचा था यहाँ है दो चार साल रहना
कैसे रोक लेते हैं ये पेट्रो डॉलर क्या कहना।
अब कहीं जा के लालच से मोहभंग हो पाया है...

घर पर हर कोई खुशी से फूला ना समाया है
कई वर्षों के बाद आज दिन खुशी का आया है।

1 सितंबर 2007

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