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अनुभूति में कमल की रचनाएँ-

छंदमुक्त में—
आदत
कर्फ्यू
जलते लफ्ज
रेशे
सड़कें

 

आदत

मैंने कभी वक़्त से वक़्त
नहीं माँगा
और ज़िन्दगी से कभी ज़िन्दगी माँगनी
सीखी ही नहीं
हाँ वक़्त के हर इशारे पर मोड़ ज़रूर
मुड़ता रहा हूँ मैं
बस कभी-कभार खुद को वापिस
माँगा है तुम से
और आदतन तुम ने इनकार ही
किया है...

१५ फरवरी २०१७

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