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अनुभूति में कमल की रचनाएँ-

छंदमुक्त में—
आदत
कर्फ्यू
जलते लफ्ज
रेशे
सड़कें

 

कर्फ्यू

कैसे रफ्ता रफ्ता रेशा रेशा
हमने ख़ामोशी बुन ली है
अपने आस-पास
अब न लफ़्ज़ों के चलने की
आवाज़ है
और न मायनों के हवा में
उड़ने की
अमन-ओ-चैन, सुकून, राहत
और बाकी
सभी सड़कें बंद हैं दिन-रात
सिर्फ कोफ़्त की एक सड़क
खुली है
बाशिंदों के लिए
अजीब सा है यह कर्फ्यू

१५ फरवरी २०१७

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