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अनुभूति में कुहेली भट्टाचार्य की रचनाएँ

कविताओं में-
इंतज़ार में रहेगा सवेरा
एक बीज
घास के वक्ष से
तुम भी ठहरो

रोशनी होगी
वादा
सौंधी सुगंध

 

सौंधी सुगंध

मेरे हाथ में पत्र है
जिसमें
अतीत की सौंधी-सौंधी
सुगंध है।
स्मृति का दंश है,
करुण रस की दो बूँदें
टपक पड़ीं
और...
तुम्हारे खोने की ख़बर।
सितारों में ढूँढ़ा था तुम्हें
मुझे कुछ कहना था
एक प्रश्न है मन में
वो प्रश्न ही रह गया,
उस क्यों का उत्तर लेकर
तुम चले गए
कह कर जाते तो अच्छा था।
खामोशी का सहना
अब तो
आदत-सी हो गई है।
तुम तो पहले ही
खामोश हो गए,
निगाह में बातें लेकर
तुम आ थे मेरे पास
और मेरी आँखों में भर कर
क्यों चल दिए,
सौंधी खुशबू छोड़कर गए
मेरी ज़िंदगी के लिए
मैं तुम्हें ढूँढ़ती रह गई।

9 मई 2007

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