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अनुभूति में नव्यवेश नवराही की रचनाएँ-

कविताओं में-
चार छोटी कविताएँ
तीन नेत्रों वाला
तुमने मेरे लिए..
पता नहीं
लौट आओ
वो बूढ़ी औरत
शून्य से अनंत

  तीन नेत्रों वाला

तुमने तो सोचा होगा
वो तीन नेत्रों वाला शख़्स तो
तिल-तिल कर
कब का मर चुका होगा
बंद हो चुके होंगे
एक-एक कर
उसके तीनों नेत्र।

सबसे पहले
बंद हुआ होगा
उसका तीसरा नेत्र
और फिर,
तीसरे के अभाव में
क्षीण हो गई होगी
शेष दोनों की रोशनी भी।

लेकिन 'वो' शख़्स अभी भी ज़िंदा है
क्योंकि अभी भी
उसके तीसरे नेत्र से फूट पड़ती है -रोशनी
'तेजोमय रोशनी...'

१० मार्च २००८

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