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अनुभूति में नव्यवेश नवराही की रचनाएँ-

कविताओं में-
चार छोटी कविताएँ
तीन नेत्रों वाला
तुमने मेरे लिए..
पता नहीं
लौट आओ
वो बूढ़ी औरत
शून्य से अनंत

  वो बूढ़ी औरत

गेट खोलकर बैठी
देखती रहती राहगीरों को
हसरत भरी नज़रों से
वो बूढ़ी औरत

स्कूल के बच्चे
मिसिज शर्मा का हनी
नुक्कड़ पर रहते डॉक्टर साब
और मिसेज अग्रवाल
गाड़ियों पर
शू...श्श्श करके निकल जाते
उसके आगे से

आज मैंने
'कैसी हो चाची कहा
तो आँखें भर ली उसने...

१० मार्च २००८

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