अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में नीरज कुमार नीर की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
औरत और नदी
दीया और चाँद
न जाने कब चाँद निकलेगा
स्मृति
हर्ष और विषाद

छंदमुक्त में-
अवतार अब जरूरी है
उड़ो तुम
काला रंग
जन गण मन के अधिनायक
जहरीली शराब
परंपरा
सपने और रोटियाँ
सुख का सूरज
सुखद स्मृतियाँ

 

अवतार अब जरूरी है

जब जीना मरने से मुश्किल लगे
अवनत स्वाभिमान प्रतिपल लगे
जब आगे बढ़ने की कोई चाह नहीं
व्यूह से बाहर की कोई राह नहीं
जब कोई बोले मीठे बोल नहीं
शोणित का जब कोई मोल नहीं
जब लहू का स्वाद मीठा लगे
अपनों का विश्वास झूठा लगे
विजय पताका वाले हाथों में
जब भीख का कटोरा हो
राजमहल के कंगूरों पर
चढ़कर जब कोई रोता हो
जब काबिल के घर फाका हो
जब मेधा पर पड़ता डाका हो
जब शांति हो नगर में
श्मशानों में हो कोलाहल
सीधे साधे प्रश्नों का
जब मुश्किल होता हो हल
ऐसे ही अवसानो में
जब तूती बजती नक्कारखानों में
थाम काल का चक्र घुमाता है
आता है जग को नयी दिशा दिखाता है
ढोता है कन्धों पर परिवर्तन का जुआ
ऐसा ही युग पुरुष अवतार कहलाता है
अवतार होते नहीं अवतरित
अवतरित होते हैं उनमें गुण
गुण जो होते है महामानवीय
जो प्राप्य हैं त्याग और तपस्या के बल पर
गुण जो बनाते हैं किसी को
राम और कृष्ण, देते हैं नाम
किसी को बुद्ध का
मेरे मन में है एक यक्ष प्रश्न
क्या वक्त नहीं आया
एक अवतार का? 

३ नवंबर २०१४

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter