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अनुभूति में ओम प्रकाश की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
अगर तुम मुझे अपना सको
एक राम और कितने रावण
जिंदगी की नाव
रिश्ते नहीं मरते
वक्त लगता है
साथ

 

वक्त लगता है

सफर तय करने में
वक्त लगता है
चाहे यह सफर जिंदगी का हो
या संबंधो का
उसे समझने में भी वक्त लगता है।

जो दूरियाँ मिटाने लगते हैं
स्लेट पर लिखे शब्दों की तरह
उन पर भी भरोसा करने में वक्त लगता है।

जिन संबंधों को छोड़ आए हों
आप वक्त के हाथों
उस वक्त को बदलने में भी वक्त लगता है।

जो भी साँसें हैं जिंदगी में
सब वक्त का ही तो है
और यह समझने में भी
वक्त लगता है।

१ सितंबर २०१४

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