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अनुभूति में डॉ. पद्मा सिंह की रचनाएँ

कविताओं में
अधिकार
नीड़
बिना पाल वाली नाव
बसंत के इंतज़ार में
मैं तुम्हारी बेटी हूँ
शब्द की हथेलियों में

` बसंत के इंतज़ार में

धरती के किसी भी छोर तक
पहुँच जाए तू
फिर भी
नहीं है इतनी ज़मीन
टिक सकें जिस पर तेरे
थके हुए पैर

नहीं है इतनी ठंडक
ठंडी हो सके छाती तेरी
न ही कोई नदी इतनी भरी
बुझा सके प्यास

घूमती रह तू
अपनी धुरी पर
कुम्हार के चाक सी

खड़ी रहना है तुझे ही
पतझड़ का पेड़ बनकर
बसंत के इंतज़ार में

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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