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अनुभूति में राजेश्वरी पांढरीपांडे की
रचनाएँ -

:छंदमुक्त में-
अपनापन
अभिमानी
उतना ही
खो दिये
चम्मचभर मैं
नासमझ
ये रिश्ते

 

अपनापन

हर शब्द से अर्थ का पता न पूछो
हर शब्द का होता है एक अपना अक्षरपन!

नन्हे की हँसी की गहराई मत नापो
हर बचपन का होता है एक अपना भोलापन !

हर क्षण से समय की रेखा मत खींचो
हर क्षण का होता है एक अपना अकेलापन !

मुझसे पूछते हो किस मौन की बात ?
हर मौन का होता है एक अपना अपनापन !!!

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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