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अनुभूति में राजेश्वरी पांढरीपांडे की
रचनाएँ -

:छंदमुक्त में-
अपनापन
अभिमानी
उतना ही
खो दिये
चम्मचभर मैं
नासमझ
ये रिश्ते

 

ये रिश्ते

काँटों से चुभकर
फूलोंसे खिलनेवाले
ये रिश्ते!
दुपहर से जलाकर
सूर्यास्त से भानेवाले
ये रिश्ते!
पहचान के किसी मोड़ पर
अज़नबी बन जानेवाले
ये रिश्ते!
आकाश बन कर
ओस से चू पड़नेवाले
ये रिश्ते!
इन के बिना भी जिया नहीं जाता
इन के साथ भी जिया नहीं जाता!
लेकिन
उस पार पहुँचने के लिये
कागज़ ही की सही - एक नाव चाहिये !
जीने के लिये
सपना ही सही अपना चाहिये !
अस्मिता संदर्भ ही सही
एक रिश्ता चाहिये!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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