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अनुभूति में आर पी शुक्ल की रचनाएँ-

छंद मुक्त में-
किराये के कंधे
पाँव के निशाँ
प्रतीक्षा के तीन युग

अंजुमन में-
अपनी किस्मत
छोड़कर गाँव

हाइकु में-
दस हाइकु

 

छोड़कर गाँव

छोड़कर गाँव की गलियों को जो आया होगा।
साथ में दर्द, कई घाव भी लाया होगा।।

उसके आँगन में अंधेरे का कहीं नाम नहीं।
उसने बस्ती को कई बार जलाया होगा।।

कोई दुश्मन भी ज़माने में नहीं था उसका,
ज़ख़्म यादों के लपेटे ही वो आया होगा।।

तुम ज़रा ग़ौर से उस शख़्स की गठरी देखो,
है यकीं मुझको, कफ़न साथ में लाया होगा।

९ नवंबर २००९

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