|  | काँपते हुए 
                  रोज़ मिल जातेकहीं भी
 किसी भी स्थान
 दौड़ती राज्य परिवहन की
 बस के पीछे
 मुस्कराते
 अनेक रंगरूपों में
 कभी बाँध का महत्व
 कहीं धरती का निजत्व
 वनवासी तो कहीं किसान
 विकास और प्रगति की
 धनी चिता झाँकती
 हल्की सफेद दाढ़ी से
 इधर विकास
 प्रगति उधर
 राजपथ पर सदा
 झूमती गाती
 कितनी उत्तेजना
 कितना भावातिरेक
 लोकार्पण चौदह सौ पचास मेगावाट
 पावर हाऊस का
 एक सौ बाईस मीटर
 ऊँचे बाँध का
 बहुत कुछ है प्रदोलित
 और कंपित
 इतिहास में झाँकता, नरोडा,
 भुज, गोधरा, बड़ौदा, जूनागढ़
 निर्मल, निरामय इश्तहारों के भीतर।
 २ जून २००८ |