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अनुभूति में शिखा गुप्ता की रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
अँधेरा
अधूरी ख्वाहिशें
आमदनी
उम्मीद
सारा जहान

 

आमदनी

यादों की गहराई में
सालों की दूरी तक
हर कही हर जगह
इमारतें नजर आती हैं।

जहाँ घर नहीं हैं वहाँ
हर जगह दुकानें-
जहाँ हर चीज बेची
और खरीदी जाती है

महँगी जमीन है
घरों के बीच
छोटी-छोटी खाली जगहें
कुछ समय पहले तक
कहीं कहीं नजर आ जाती थी

लेकिन अब
दुकानें बना दी गईं
यह सोचकर (कि)
कुछ पैसे की आमदनी
तो हो जाएगी।

१ अक्तूबर २०१५

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