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अनुभूति में श्रीनिवास श्रीकांत की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अनात्म
कविता सर्वव्यापिनी
नया साल
मृत्यु
सरकण्डों में सूरज

 

नया साल

दूरस्थ क्षितिज
दिखने लगीं
बर्फ़ानी चोटियाँ

याद आ रहीं
ऊष्म रातें
नम आँखें
जब समय ने किए
स्पेस के पृष्ठ पर
अन्तिम हस्ताक्षर...

शब्द थे अन्धे
वाक्य की गलियों में
फुसफुसा कर चलते रहे
नवाचार से आन्दोलित
प्रज्ञाचक्षु भाव...

अनन्त में कोई गा रहा था
एक न सुनायी दे
वैसी प्रेमगाथा
पर्वत हो रहे थे अन्तर्धान

वक्त में हुए विलय
नवता के सभी नकूश
एक एक कर ओट हुए
सभी रेखांकन
आकाश के अनन्त में...

सूर्य की गेंद पर
बल्ला घुमा रहा था
नये साल का शातिर शिशु...

२६ मार्च २०१२

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