अनुभूति में
श्रीनिवास श्रीकांत की रचनाएँ-
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कविता सर्वव्यापिनी
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मृत्यु
सरकण्डों में सूरज |
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सरकण्डों में
सूरज
अल्पनीरा नदी के तट पर
रेत में
खड़े थे तृण
समय था सुबह का
उधर दूर आसमान में
उदय हो रहा था सूर्य
सरकण्डे
नहीं जानते थे
कि वह है एक
अतिभयानक
आग उगलता
ताप का गोला
जिससे बनी
यह पृथ्वी
यह सौर मण्डल
वे उसे समझते थे
समुद्र द्वारा फेंकी गयी
एक लाल
चमकदार गेंद
सरकण्डे थे टपोरी
चीखते रोते थे
सूरज को देख देख
उछलते
शायद वो कभी आ जाए
उनके हाथों में।
२६ मार्च २०१२ |