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अनुभूति में श्वेता गोस्वामी की
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अपने वादे को

अपने वादे को निभाएँ कैसे
आप को दिल से भुलाएँ कैसे

आग ही आग सबके ज़हनों में
अपना घर इससे बचाएँ कैसे

अश्क जो दिल में छुपा रक्खे हैं
उनको आँखों से बहाएँ कैसे

जिसको देखो वो गम़जदा है यहाँ
अपना अफ़साना सुनाएँ कैसे

हादसों के शहर में ए 'श्वेता'
माँ दे बच्चे को दुआएँ कैसे

१ फरवरी २००६

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