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अनुभूति में सुशीला शिवराण की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
कुहासा
मैं बंकर हूँ
ऐ सनम

 

ए सनम !

तुम दिल, मैं ज़ज़्बात
आओ लिखें, कोई गज़ल, कोई रूबाई
ए सनम !

तुम कागज़ मैं कलम
तुम एहसास मैं हरफ़
आओ लिखें कोई नग़मा ए सनम !

तुम बादल, मैं बरसात
थोड़ा उमड़ें, थोड़ा घुमड़ें
भीगें साथ ए सनम !

तुम प्रेम, मैं प्रीत
आओ छेड़ें कोई राग
कोई गीत ए सनम !

२ अप्रैल २०१२

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