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मेरी कविता
मेरी कविता की नायिका को
फूल का नहीं
बेटे-बेटी और स्वयं के लिए
रोटी पा जाने का
चाव होता है
इसलिए मेरी कविता में
सुगन्ध उड़ाती
मलय नहीं होती।
मेरी कविता की
प्ररेणा वे हैं
जिनके गले से
गीत नहीं
अपने परिवार के
वर्तमान और भविष्य की चिंता
शब्द बनकर फूटती है
इसलिए मेरी कविता में
तथाकथित
'लय' नहीं होती।
मेरी कविता में
वह दर्द है
जो साकी की पिलाई
शराब से नहीं
अपितु
रोटी, कपड़ा और मकान
की उपलब्धि से ही
दूर हो सकता है
इसलिए मेरी कविता में
छलछलाती
'मय' नहीं होती।
मेरी कविता
प्रतिनिधित्व है
उन लोगों का
जिनका पेट
खाली नारों से नहीं
बल्कि
उनके अमल से ही
भर सकता है
इसलिए मेरी कविता में
नेताओं की
जय नहीं होती।
१ अप्रैल २००५
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