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अनुभूति में विजया सती की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
एक प्रश्न
तीन छोटी कविताएँ
पास आकर
भाषा की ताकत
बातचीत अपने आप से
  भाषा की ताकत

पहले ही दिन से
महसूस नहीं हुआ कि
अपना वह घर आँगन बहुत दूर छूट गया है
आभास ही नहीं हुआ कि अपनों की
दुनिया से
इतना दूर चली आई हूँ !
शायद ...
नहीं, शायद नहीं
सचमुच यह भाषा ही थी
जिसने मुझे पहले ही दिन से
इस दूर एकांत में
अकेला नहीं होने दिया

१३ फरवरी २०१२

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