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अनुभूति में विनीता जोशी की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
आज तक
और तो और
छोटी सी बात
तुम मुझे

सपने में औरत

 

और तो और

अब
ब्लैक एंड व्हाइट
टी.वी. जैसी
लुप्त होती जा रही हैं
संवेदनाएं

मुहल्ले में
जब कोई मर जाता है
तब पता चलता है
लम्बे अर्से से
बीमार था वो

ससुराल जाते समय
नहीं आतीं
ब्याहता बेटियाँ
अब देहरी पूजने
अब नहीं डाला जाता
आम का अचार
छतों पर

इकट्ठा होकर
बूढ़े नहीं लड़ाते
आँगन में बैठकर
ईरान-तुरान की गप्पें

और तो और
घर के लोग ही
महीने में
एक-दो बार
साथ बैठते हैं
डाइनिंग रूम में
गिने-चुने संवाद लेकर।

६ फरवरी २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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