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अनुभूति में विनीता जोशी की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
आज तक
और तो और
छोटी सी बात
तुम मुझे

सपने में औरत

 

छोटी-सी बात

ड्रैसिंग टेबल में
आज तक सजी है
वह
गुलाबी नेलपॉलिश की शीशी
जो तुमने
दी थी मुझे
पहली बार

सूखी हुई
नेलपॉलिश में बची है
आज भी
उन पलों की सुगन्ध
जब मेरा हाथ पकड़कर
तुमने कहा था
ये गुलाबी रंग
ज़िन्दगी भर
बसाये रखना
अपने दिल में

और सच
लगता है यह रंग
बिखर गया है
चारों तरफ
बिंदी, साड़ी, चूड़ी से
लेकर आसमान तक

वसंत में
पेड़ों की
नन्हीं पत्तियों के गालों पर
मला हुआ
मिट्टी की मुट्ठियों में सिमटा हुआ
चांदनी
महका-महका जाता है

जब भी-
बहुत अकेली होती हूँ
सूखी आँखों को
भिगो जाता है

रख लिया है मैंने
बस
तुम्हारी छोटी-सी बात का मान।

६ फरवरी २०१२

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