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अनुभूति में विनीता जोशी की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
आज तक
और तो और
छोटी सी बात
तुम मुझे

सपने में औरत

 

तुम मुझे

तुम मुझे
प्यार करो ऐसे
जैसे
हवा प्यार करती है
पेड़ों से
मैं नदी बनकर
बहती रहूँ तुममें

जो विश्वास
धरती को सूरज पर है
चिड़िया को बादल पर
और माटी को बीज पर
वही
बना रहे…

तुम मुझे ऐसे
प्यार करो
जैसे पहाड़
प्यार करता है
बर्फ़ से
जैसे
पत्थर प्यार करते हैं
नींव से
खिड़कियाँ प्यार करती हैं
खुले आसमान से
और
समन्दर प्यार करता है
चाँद से…

तुम मुझे
ऐसे ही
प्यार करोगे ना !

६ फरवरी २०१२

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