| अनुभूति में चंद्रमोहन भंडारी 
की रचनाएँ- आपकी तारीफ़कहो मैं मेरा कैसे?
 कैसा ज़माना आया यारो!
 खुदाई
 मेरे हिंदोस्ताँ, मेरे वतन
 |  | कहो मैं मेरा कैसे? कहो मैं मेरा कैसे?मैं आत्मा मेरा शरीर
 मैं पुरुष मेरा प्रकृति
 मैं दृष्टा मेरा दृश्य
 मैं समाधिस्थ मेरा विचलित
 कहो मैं मेरा कैसे?
 मैं नित्य मेरा अनित्यमैं सर्वत्र मेरा एकल
 मैं सत्य मेरा माया
 मैं शांत मेरा भरमाया
 कहो मैं मेरा कैसे?
 मैं निराकार मेरा आकारमैं निर्विकार मेरा सविकार
 मैं निर्विचार मेरा सविचार
 मैं स्वयंप्रकाश मेरा 'मैं' से प्रकाश
 कहो मैं मेरा कैसे?
 मैं अविनाशी मेरा विनाशीमैं अद्वैत मेरा द्वैत
 मैं निर्गुण मेरा सगुण
 मैं निर्विकल्प मेरा सविकल्प
 कहो मैं मेरा कैसे?
 16 अप्रैल 2007 |