| खुदाई खुदा के बंदे बंदगी बयाँ करखुदाई का पल-पल दीदार कर
 खुदा के दीदार की है गर आस
 तो ले खिदमतगारी की हर साँस
 खुद की खुशहाली चाहे तू गरखिदमत खुदाई कर ले जी भर
 खिदमतगारी में खुशहाली है
 खुदाई लुटाने में दीदारी है
 भूल जा मैं मेरा तू तेरा का फेरबिछा दे खुशहाली का अंबार
 मिटा दे जात-पात-धर्म भरा अँधेरा
 बना सब ओर इन्सानियत का घेरा
 जन्नत दूर नहीं परदेश नहींहर मुकाम ही बन जाए जन्नत
 कोई रोक लगे न मोल लगे
 जहाँ रहो वहीं बनाओ जन्नत
 सब मज़हबों धर्मों का धर्मी एक हैबस देश, काल और क्रम का भेद है
 इंसान के रंग-रूप भाषा अनेक हैं
 पर इंसानियत के पाए एक हैं
 इसीलिए हर मज़हब काहर धर्म का नारा है एक
 बस इंसानियत को ही मानो
 अनेक नामों वाला मालिक एक
 मत कर चिंता उसकी जो न साथ जाएगाखिदमतगारी का लेखा-जोखा ही काम आएगा
 तेरे दर पहुँचते ही जब इतना सुरूर मिलता है
 भटकता मन यकायक सहमता शांत हो जाता है
 तो तार भी तेरे दर का गरचे जुड़ जाएयाद से स्विच भी ऑन कर लिया जाए
 जीवन सफल होगा अवश्य इंशाल्लाह
 न हो रत्ती भर भी शक-सुबा बिसमिल्लाह
 भगवान तेरी लीला अपरंपारहर सुख दुख भरा है अपार
 न खोज खुशी संसारी चमक दमक में
 सुख शांति मिले खुदाई खिदमदगारी में
 16 अप्रैल 2007 |