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अनुभूति में कृष्ण बिहारी की रचनाएँ -

गीतों में—
आवारा मन
कितने तूफ़ानों से
कुछ न कहूँगा
गीत गुनगुनाने दो
तुम आए तो
तुम साथ चलो
दिल हँसते हँसते रोता है
दूर न जाते
देवता मैं बन न पाया
प्रीत- नौ चरण
राह जिस पर मैं चलूँ
रुपहले गीत का जादू
वही कहानी
साथ तुम्हारे
स्मृति

संकलन में—
ज्योतिपर्व   –  चाँदनी की चूनर ज़मीं पर है
          –  मत समझो पाती
जग का मेला – झरना

 

गीत गुनगुनाने दो

सपने हैं शीशे से साफ़ करो इनको
सपनों की ग़लती क्या माफ़ करो इनको
मन में कुछ आने दो कुछ मन से जाने दो
गीत गुनगुनाने दो!

मोहक हर दरपन था मोह गया मन को
आकर्षण बंधन का तोड़ गया तन को
सुख को तुम माने दो कुछ दुख में गाने दो
गीत गुनगुनाने दो!

मन को तो रोक लिया मिलने से उनको
भीतर के जग में अब रोकोगे किनको
सृष्टि है लुभाने दो दृश्य है रमाने दो
गीत गुनगुनाने दो!

दूर जा चुके हैं सब जाना था जिनको
अब किसे पुकारे हम आना है किनको
अब दिया बुझाने दो दर्द को सुलाने दो

गीत गुनगुनाने दो!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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