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अनुभूति में ललित अहलूवालिया 'आतिश' की रचनाएँ—

गीतों में-
कामिनिया
चल कहीं और चलें
चलो रहने दो
दिल के आइने से
बात बनाए रखना

 

दिल के आईने से

मुड़े-मुड़े पन्नों में
दास्ताँ किताबों की
खुशबुएँ उड़ाती मिली
पंखुड़ी गुलाबों की

सहमे-सहमे छिपते, घनी बारिशों में चले-चले
भीगे आँचलों में, कभी छतरियों की छाँवों तले
नज़र चुप सवालों की, ज़ुबाँ गुम जवाबों की
खुशबुएँ उड़ाती मिली, पंखुड़ी गुलाबों की

काँपते लबों का कोई, अनकहा इशारा सा
मोतियों में जैसे दबा, मखमली शरारा सा
दिल के आईने से हुई, बात जैसे ख़्वाबों की
खुशबुएँ उड़ाती मिली, पंखुड़ी गुलाबों की

बाँहों में समेटे चंदा, नाचते चकोर जैसे
चूमते डरे-डरे, तन्हाइयों के शोर जैसे
अनबुझी सी प्यास जैसे, प्यास बे-हिसाबों की
खुशबुएँ उड़ाती मिली, पंखुड़ी गुलाबों की

१० अक्तूबर २०११

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