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अनुभूति में ललित अहलूवालिया 'आतिश' की रचनाएँ—

गीतों में-
कामिनिया
चल कहीं और चलें
चलो रहने दो
दिल के आइने से
बात बनाए रखना

 

कामिनिया

धीमे-धीमे चलता है चाँद,
लेके संग चाँदनिया
हौले-हौले देती है ताल,
गोरी तोरी पैंजनियाँ

घुँघटा से बिंदिया की,
तीखी-तीखी धार चले
पैनी-पैनी कंगना की,
जियरा कटार चले
रुक - रुक साँस चले,
हाले-डोले नाथानिया

सरक-सरक सर से,
अंगिया चुनर चूमे
बेनी से फिसल गजरा,
कटी पे लटक झूमे
बिछुआ खनक घूमे,
हाय मोरी साजनिया

झुकी-झुकी अँखियों में,
मीठे-मीठे सपन जगे
भीगे-भीगे अधरों पे,
रस भरी प्यास लगे
जोगिया खड़े हैं ठगे,
लूटे काहे कामिनिया |

१० अक्तूबर २०११

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