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अनुभूति में श्रद्धा जैन की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपने हर दर्द को
कहाँ बनना सँवरना
किसी उजड़े हुए घर को

जब कभी मुझको
जैसे होती थी किसी दौर में

अंजुमन में-
अच्छी है यही खुद्दारी
अफ़साना ए उल्फ़त
कितना है दम चिराग में
किसने जाना
घटा से घिर गई बदली
गम बढ़ा दीजिए
मुश्किलें आई अगर

  अफ़साना-ए-उल्फ़त

अफ़साना-ए-उल्फ़त है, इशारों से कहेंगे
गर तुम न सुनोगे, तो सितारों से कहेंगे

हम सिद्क़-ओ-इबादत से कभी अज़्म-ओ-अदा से
बस अहद-ए-मोहब्बत, इन्हीं चारों से कहेंगे

आगोश में मिल जाए समंदर जो वफ़ा का
हम अलविदा दुनिया के, किनारों से कहेंगे

चेहरे से चुराओगे जो सुर्खी-ए-तब्ब्सुम
क़िस्सा उड़ी रंगत का, बहारों से कहेंगे

आँखों में हैं जल जाते, वफाओं के जो जुगनू
जज़्बात ये 'श्रद्धा' के, हज़ारों से कहेंगे

१ जून २००९

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