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अनुभूति में श्रद्धा जैन की रचनाएँ

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अपने हर दर्द को
कहाँ बनना सँवरना
किसी उजड़े हुए घर को

जब कभी मुझको
जैसे होती थी किसी दौर में

अंजुमन में-
अच्छी है यही खुद्दारी
अफ़साना ए उल्फ़त
कितना है दम चिराग में
किसने जाना
घटा से घिर गई बदली
गम बढ़ा दीजिए
मुश्किलें आई अगर

  किसने जाना

किसने जाना कि कल है क्या होगा
कुरबतें या के फ़ासला होगा

आज रोया है वो तो रोने दो
हो न हो ख़ुद से वो मिला होगा

चाँद जो पल में बन गया मिट्टी
रात दिन किस तरह जला होगा

ज़ुल्म करता नहीं वो बन्दों पर
आज दुनिया का रब जुदा होगा

यों न ढूँढों यहाँ वफ़ा 'श्रद्धा'
तन्हा-तन्हा-सा रास्ता होगा

१ जून २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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