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डॉ गोपाल बाबू शर्मा

जन्म: ४ दिसम्बर १९३२ को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश भारत में।

शिक्षा- एम.ए., बी.कॉम., पीएच. डी. (हिन्दी)

प्रकाशित कृतियाँ-
व्यंग्य संग्रह- श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ, वर कथा अनन्ता, सॉरी प्लीज़, पोथी पढ़ि-पढ़ि जग जिया, सास बिना सब सूना, जूता चल रहा है ,रहिमन पानी छाँड़िए।
कविता संग्रह- ज़िन्दगी के चाँद सूरज, कूल से बँधा है जल, समर्पित है मन (मुक्तक-संग्रह) , धूप बहुत-कम छाँव(दोहे तथा हाइकु), दूधों नहाओ पूतों फलो (हास्य -व्यंग्य कविताएँ), कहेगा आईना सब कुछ(मुक्तक-संग्रह), सरहदों ने जब पुकारा, सूख गए सब ताल(ग़ज़ल-संग्रह)।मोती कच्चे धागों के।
लघुकथा संग्रह- काँच के कमरे।
शोध-समीक्षात्मक कृति- अनुसंधान और अनुशीलन

सम्प्रति- श्री वार्ष्णेय पोस्ट ग्रेज़ुएट कॉलिज अलीगढ़ के हिन्दी विभाग में रीडर पद से सेवानिवृत्ति के बाद स्वतन्त्र लेखन।

 

अनुभूति में डॉ. गोपाल बाबू शर्मा की रचनाएँ-

दोहों में-
नेता जी के पास हैं
फागुनी दोहे

हास्य व्यंग्य में-
खूब गुलछर्रे उडाते जाइये

 

 

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