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अनुभूति में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचनाएँ-


कविताओं में-
अंधेरे का मुसाफ़िर
एक सूनी नाव
तुम्हारे लिए
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
रात में वर्षा
व्यंग्य मत बोलो
विवशता
शुभकामनाएँ
सब कुछ कह लेने के बाद
सुरों के सहारे

संकलन में-
वसंती हवा- आए महंत वसंत
गाँव में अलाव - जाड़े की धूप
पिता की तस्वीर- दिवंगत पिता के प्रति
नया साल- शुभकामनाएँ

क्षणिकाओं में
वसंत समर्पण आश्रय

  विवशता

कितना चौड़ा पाट नदी का
कितनी भारी शाम
कितने खोये खोये से हम
कितना तट निष्काम

कितनी बहकी बहकी-सी
दूरागत वंशी टेर
कितनी टूटी-टूटी-सी
नभ पर विहंगो की फेर

कितनी सहमी सहमी-सी
क्षिति की सुरमई पिपासा
कितनी सिमटी सिमटी-सी
जल पर तट तरु अभिलाषा

कितनी चुप-चुप गई रोशनी
छिप-छिप आई रात
कितनी सिहर सिहर कर
अधरों से फूटी दो बात

चार नयन मुस्काये
खोये भीगे फिर पथराये
कितनी बड़ी विवशता
जीवन की कितनी कह पाए।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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