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अनुभूति में श्रीकृष्ण सरल की रचनाएँ-

कविताओं में-
आँसू
छोड़ो लीक पुरानी
जवानी खुद अपनी पहचान
देश के सपने फूलें फले
देश से प्यार
धरा की माटी बहुत महान
नेतृत्व
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है
पीड़ा का आनंद
प्रेम की पावन धारा
मत ठहरो
मुझमें ज्योति और जीवन है
वीर की तरह
शहीद
सैनिक

  देश के सपने फूलें फलें

देश के सपने फूलें फलें
प्यार के घर घर दीप जले
देश के सपने फूलें फलें

देश को हमें सजाना है
देश का नाम बढ़ाना है
हमारे यत्न, हमारे स्वप्न,
बाँह में बाँह डाल कर चलें
देश के सपने फूलें फलें

देश की गौरव वृद्धि करें
प्रगति पथ पर समृद्धि करें
नहीं प्राणों की चिंता हो
नहीं प्रण से हम कभी टलें
देश के सपने फूलें फलें

साधना के तप में हम तपें
देश के हित चिन्तन में खपें
कर्म गंगा बहती ही रहे
निरन्तर हिम जैसे हम गलें
देश के सपने फूलें फलें

हमारी साँसों में लय हो
हमारी धरती की जय हो
साधना के प्रिय साँचे में
हमारे शुभ संकल्प ढलें
देश के सपने फूलें फले

१६ जून २००५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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