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अनुभूति में आभा खरे की रचनाएँ-

गीतों में-
अवसादों का अफसाना
उन्मादी भँवरा डोल रहा
कुछ मनन करो
जीतना मुश्किल नहीं
धार के विपरीत बहना
मन बाँध रहा संबन्ध नया

माहिया में-
मन की जो डोर कसी

संकलन में-
दीपावली- चाँद अँधेरों का
शिरीष- महके फूल शिरीष के
चाय- अदरक वाली चाय
पतंग- चुलबुली पतंग
ममतामयी- माँ तुझे प्रणाम
जलेबी- रस भरी जलेबी
होली है- इंद्रधनुषी रंग
कनेर- फूलों की चमक

पिता के लिये-
पिता

 

मन बाँध रहा संबन्ध नया

जाने क्या था उन आँखों में
मन बाँधे सम्बंध नया है

साँझ-सकारे पुरवा बहती
रह-रह हूक हृदय में उठती
प्रीत-सुमन अर्पित करने को
नजर उसे ही खोजा करती

जिसकी एक झलक पाने का
हर पल इक आनन्द नया है

घिर-घिर आए बरसे सावन
भीगे तन पर प्यासा है मन
फूलों ने सौ रंग बिखेरे
फीका है पर मन का उपवन

चुभे शूल सी उसकी चुप्पी
पीड़ा का अनुबंध नया है

टूटेगी खामोशी इक दिन
प्रीत सुहागन होगी उस दिन
सतरंगी सपनों के रथ पर
आएँगे खुशियों के पल-छिन

गीत अधर पर मधुर सजे जो
आशाओं का छंद नया है

१ नवंबर २०२२

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