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अनुभूति में डॉ. अश्वघोष की रचनाएँ

नए गीतो में-
धूप से बातें करें

शहतूत के पेड़
हत्यारे दिन

अंजुमन में-
जो भी सपना
रफ़्ता रफ़्ता
रोज़मर्रा
सिलसिला ये दोस्ती का

छंदमुक्त में-
अभी तो लड़ना है
आज भी
शब्दों की किरचें
सड़क पर तारकोल
सदियों से भूखी औरत
सोच रहा है दिन

गीतों में—
जल नहीं है
तुमसे मिलके
लाजवंती धारणाएँ
संसद के गलियारे

संकलन में-
हिंदी की 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ- नए साल में

 

हत्यारे दिन

हत्यारे दिन नए साल के
घूम रहे सीना निकाल के

दहशत की भाषाएँ बोलें
जीवन में अँधियारा घोलें
फाँसे मछली बिन जाल के
हत्यारे दिन नए साल के

जोर जुलम से रखते नाता
इन्हें आदमी नहीं सुहाता
दुश्मन हैं ये जान-माल के
हत्यारे दिन नए साल के

मानवता के घोर विरोधी
करुणा दया क्षमा सब खो दी
हिंसा को रखते संभाल के
हत्यारे दिन नए साल के
1
७ फरवरी २०११

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