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अनुभूति में देवेन्द्र शर्मा इंद्र की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
एक थे सैकड़ों हो गए
जो भी सफ़र में

तीरगी में हिलाल
प्यार की दौलत

अंजुमन में-
फूल शाखों से
यूँ देर से
हर इक रिश्ते
हर शाम चिरागों सा

गीतों में-
अब भी जीवित मुझमें
उस शहर से
एक गाथा का समापन
जब जब भी झंझा
मैं तुम्हारी लेखनी हूँ

मैं नवांतर
मैं शिखर पर हूँ
लौटकर घर चलो खुसरो
साँझ के कंधे पर
हम जीवन के महाकाव्य

 

तीरगी में हिलाल

तीरगी में हिलाल पैदा कर
और उसमें ग़जाल पैदा कर

सारी दुनिया ही सर झुकायेगी
ख़ुद में कोई कमाल पैदा कर

चाहने मैं लगा तुझे या रब
फिर से हिज़्रो-विसाल पैदा कर

भूल जाऊँ तुझे हमेशा को
कोई ख़ुद-सी मिसाल पैदा कर

वक्त ये लौट कर न आयेगा
तू नये माहो-साल पैदा कर

सर झुके ग़ैर की न महफि़ल में
ऐसा हुस्नो-जमाल पैदा कर

१८ अक्तूबर २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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