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अनुभूति में कृष्ण बिहारीलाल पाण्डेय की रचनाएँ-

गीतों में-
अपना समय लिखा

गुणगान की अन्त्याक्षरी में
ज्योतिषी जी कह रहे हैं
नदी के खास वंशज
है कथानक सभी का वही


 

ज्योतिषी जी कह रहे हैं

बहुत अच्छा रहेगा श्रीमान का यह साल
ऐसा ज्योतिषी जी
कह रहे हैं

आपका व्यापार फूलेगा फलेगा
हर तरफ बस आपका सिक्का चलेगा
आप होंगे और भी उदारवादी
देश अब कुछ निजी हाथों में पलेगा
शेयरों में अभी होगा और अधिक उछाल
ऐसा ज्योतिषी जी
कह रहे है

धर्म के प्रति आदमी की रुचि बढ़ेगी
अगरबत्ती और भी ज्यादा बिकेगी
पापियों का अन्त होगा अब धरा से
सिर्फ एक पवित्रता जीवित रहेगी
आपका ही तना होगा हर जगह पंडाल
ऐसा ज्योतिषी जी
कह रहे हैं

कुछ जगह होंगे उपद्रव और दंगे
मौत नाचेगी कहीं पर नाच नंगे
बस्तियाँ जल कर भले ही राख हों पर
हर लपट में आप होंगे अधिक चंगे
आपका तूफान होगा आपका भूचाल
ऐसा ज्योतिषी जी
कह रहे हैं

कहीं पर सूखा कहीं अतिवृष्टि होगी
भीख जैसी राहतों की सृष्टि होगी
मौसमों के हर बदलते तामक्रम पर
आपकी वातानुकूलित दृष्टि होगी
पैर होंगे नर्तकों के आपका सुरताल
ऐसा ज्योतिषी जी
कह रहे हैं

आप जो कह दें वही इतिहास होगा
डगमगाता कदम नया विकास होगा
आपका अंजन लगा अन्धत्व को भी
अंधेरे में चमक का आभास होगा
एक छोटा ब्रेक फिर आगे बहुत सा हाल
ऐसा ज्योतिषी जी
कह रहे हैं

१७ सितंबर २०१२

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