अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में मृदुल शर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
कड़ी धूप में
कुछ भी बदला नहीं
राजा रहा नचा
सोनकली

गीतों में-
आँख दिखाई है
कठिन समय है
किसी की याद आई
खत मिला
गीत छौने
जोड़ियों को तो बनाता है सदा रब
दूर ही रहो मिट्ठू

पितृपक्ष में
भूल की
यह मत पूछो
रस्मी प्रणाम से

संकलन में-
तुम्हें नमन- क्षमा बापू

 

 

रस्मी प्रणाम से

ऊब गया है मन रस्मी प्रमाम से
सच को झुठलाते इस
तामझाम से

भूल गए
हों जैसे खुलकर जीना
मुस्कानों से छिपकर आँसू पीना
शिकवे दोहराते हैं सुबह
शाम से

रिश्तों में
गर्माहट है नहीं कहीं
शर्तों पर जीवन की गाड़ी घिसट रही
लगते संबंध सभी
बेलगाम से

अक्सर
असमय झरते हैं गुलाब से
फटफटकर पृष्ठ उड़े ज्यों किताब से
कोशिश है मगर दिखें
पूर्ण काम से

८ अप्रैल २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter