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अनुभूति में डॉ. ओमप्रकाश सिंह की रचनाएँ

गीतों में-
आ गया आतंक
अरे हरिण मन
इंद्रप्रस्थ के लोग

संकलन में-
विजय पर्व- स्वर्ण लंकाएँ
वसंती हवा- फाल्गुन का गीत



 

` इंद्रप्रस्थ के लोग

इंद्रप्रस्थ की
बात करें क्या
इंद्रप्रस्थ के लोग!

सिंहासन के
आसपास ही
सुलग रही है आँखें
जोड़ रहे जो
भीतर-बाहर
इंद्रप्रस्थ की साँसें

राजा का मन ही
बहलाते
इंद्रप्रस्थ के लोग!

रिश्तों का
अवमूल्यन करने की
मन में हैं ठाने
अहंकार सिर पर
चढ़ बैठा
लगा मंच पर गाने

आडंबर की
चादर ओढ़े
ये संन्यासी लोग!

जाल बिछाए
लहर-लहर पर
खींचे बहती नावें
घाट-घाट
करवाए पट्टे
कब्जेदारी गाएँ
उसके आगे-पीछे
नाचें
मंत्रोच्चारी लोग!

८ मार्च २०१०

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