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अनुभूति में ओम प्रकाश तिवारी की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
कर्फ्यू में है ढील
कुम्हड़ा लौकी नहीं चढ़ रहे
गाली देना है अपना अधिकार
चाहे जितने चैनल बदलो
न्याय चाहिये

गीतों में-
अब सावन ऐसे आता है
अरे रे रे बादल
बूँद बनी अभिशाप

कुंडलियों में-
पाँच चुनावी कुंडलियाँ

अंजुमन में-
ख़यालों में

  अब सावन ऐसे आता है

अब सावन ऐसे आता है।

जिन चौपालों में होता था
ढोलक की थापों पर आल्हा,
वहीं कुकुरमुत्तों से उगते
नेता नित्य बदलते पाल्हा।

जाने किस विचार में दादुर,
गाते-गाते खो जाता है।

हरे बाँस पर पेंग मारती
इठलाती गोरी हम भूले
कभी-कभी अब किसी ठूँठ पर
दिख जाते टायर के झूले।

हाथों में मेहंदी रचना अब
रीत पुरानी कहलाता है।

अलग पड़ी बहनों की गुड़िया
बालक खेल ढूँढ़ते दूजा,
नर-नर नाग बने घर-घर में
कौन करे नागों की पूजा।

घटा देख छिप जाए मयूरी,
मोर नपुंसक हो जाता है।

१ अगस्त २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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