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अनुभूति में श्याम नारायण मिश्र की रचनाएँ -

गीतों में-
गीत कालातीत पर्वत के
प्रणयगंधी याद में
बाँस का जंगल जला
शांति के शतदल
समय के देवता

 

 

 

समय के देवता

ओ समय के देवता !
थोड़ा रुको,
मैं तुम्हारे साथ होना चाहता हूँ।

तुम्हारे पुण्य-चरणों की
महकती धूल में
आस्था के बीज बोना चाहता हूँ।

उम्र भर दौड़ा थका-हारा,
विजन में श्लथ पड़ा हूँ।
विचारों के चक्के उखड़े,
धुरे टूटे,
औंधा रथ पड़ा हूँ।

आँसुओं से अँजुरी भर-भर,
तुम्हारे चरण
धोना चाहता हूँ।

धन-ऋण हुए लघुत्तम
गुणनफल शून्य ही रहा।
धधक कर आग अंतस
हो रहे ठंडे, आँख से
बस धुआँ बहा।

तुम्हारे छोर पर
क्षितिज पर,
अस्तित्व खोना चाहता हूँ।

६ मई २०१३

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