अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में पुष्यमित्र की रचनाएँ—

छंदमुक्त में—
उदास चेहरे
गाँव की तकदीर
चुंबन की निशानियाँ
पतंगबाज
पर्वत और नदी
सुबहें

 

 

चुंबन की निशानियाँ

इश्क
मैंने चाहा था
रहे हमेशा
मेरे पास।
मगर
जब भी वह आया।
गालों को हल्के से चूमकर
गुजर गया चुपके से।
हर बार
आँसुओं से धोता रहा मैं,
उसके लौट जाने का गम।
और हर बार
धुल गई गालों से,
उसके चुंबन की निशानियाँ।

९ मई २००६

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter