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अनुभूति में विपिन पँवार निशान की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
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बचपन
मन
यादें

 

मन

न जाने क्यों आज
लिखने का मन किया
लिखता चला गया
लबों पर पर हँसी आई
हँसता चला गया
आँखों में अश्क भर आए
रोता चला गया
किसी की याद आई
यादों में खोता चला गया
किसी को भूलने का मन किया
भूलता चला गया
कुछ गाने का मन किया
गुनगुनाता चला गया
नाचने का मन किया
नाचता चला गया
झूठ बोलने का मन किया
झूठ बोलता चलता गया
सच बोलने का मन किया
सच बोलता चला गया
सोने का मन किया
सोता चला गया
जागने का मन किया
जागता चला गया
उपदेश देने का मन किया
उपदेश देता चला गया
ईश्वर का ध्यान आया
पूजा करता चला गया
नास्तिक बनने का मन किया
नास्तिक बनता चला गया
चोर बनने का मन किया
चोरी करता चला गया
दान करने का मन किया
दान करता चला गया
न जाने क्यों आज
"निशान" का मन किया
और यह सब लिखता चला गया।

२४ फरवरी २००५

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