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						वर्ष की 
						पहली सुबह |  
                      |  | अभी होने दो
						समय को
 गीत कुछ दिन और
 
 वक्त के बूढ़े कैलेंडर को
 हटा दो
 नया टाँगों
 वर्ष की पहली सुबह से
 बाँसुरी की धुनें माँगो
 
 सुनो निश्चित
 आम्रवन में
 आएगा फिर बौर
 
 बर्फ की घटनाएँ
 थोड़ी देर की हैं
 धूप होंगी
 खुशबुओं के टापुओं पर
 टिकेगी फिर परी-डोंगी
 
 साँस की
 यात्राओं को दो
 वेणुवन की ठौर
 
 अभी बाकी
 है अलौकिकता
 हमारे शंख में भी
 और बाकी हैं उड़ानें
 सुनो, बूढ़े पंख में भी
 
 इन थकी
 पिछली लयों पर भी
 करो तुम गौर
 
 -- कुमार रवीन्द्र
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                       नव वर्ष 
                       अभिनंदननए साल के 
                       साथ अनुभूति ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश कर रही है। टीम अनुभूति 
                       की ओर से पाठकों का अभिनंदन और नव वर्ष की शुभ कामनाएँ
 |  इस सप्ताह 
                    
                   
                   नववर्ष की नई 
                   रचनाओं में- गीतों में छंद मुक्त 
						में- दोहों में- हाइकु में- गौरव ग्राम 
						में- 
						अन्य 
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              अंक |  |