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अनुभूति में महावीर उत्तरांचली की रचनाएँ-

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अंजुमन में-
गरीबों को फकत
घास के झुरमुट में
जो व्यवस्था
तेरी तस्वीर को
दिल से उसके जाने कैसा
बड़ी तकलीफ देते हैं
बाजार में बैठे
राह उनकी देखता है
साधना कर
हार किसी को

 

तेरी तस्वीर को

तेरी तस्वीर को याद करते हुए
एक अरसा हुआ तुझको देखे हुए

एक दिन ख़्वाब में ज़िन्दगी मिल गई
मौत की शक्ल में खुद को जीते हुए

आह भरते रहे उम्रभर इश्क में
ज़िन्दगी जी गये तुझपे मरते हुए

कितनी उम्मीद तुमसे जुड़ी ख़ुद-ब-खुद
कितने अरमान हैं दिल में सिमटे हुए

फिर मुकम्मल बनी तेरी तस्वीर यों
खेल ही खेल में रंग भरते हुए

८ अप्रैल २०१३

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