अनुभूति में अमरेन्द्र
सुमन
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फेरीवाला
रोशनदान
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एक पागल
बस स्टॉप
कचहरी परिसर
नुक्कड़, चौक-चौराहों पर
प्रतिदिन हाथ फैलाकर भीख माँगता
नहीं देखा जा रहा वह इन दिनों।
वह नहीं देखा जा रहा
चाय-पान की दुकानों पर
काम करने वाले उन लड़कों को गरियाते,
कपटी भर चाय पिलाने के एवज में
अपनी उम्र के हिसाब से जो परोसते भद्दी-भद्दी गालियाँ उसे
झिकटी-कंकड़ की मार से प्रतिदिन जिसका होता आतिथ्य सत्कार
और माथे पर हाथ धरे बचने की मुद्रा में
जो बढ़ता जाता गुर्राता हुआ आगे
उन वकीलों-मुवक्किलों के आजु-बाजू भी
नहीं देखा जा रहा इन दिनों
रुपये-दो रुपये देने के एवज में जो चाहते उससे
लगातार कई-कई घंटों तक की हँसी
न समझने वाली उसकी मुस्कुराहट में
जो महसूसते
समाप्त होती दिन भर की अपनी थकावटें
कहाँ और क्यों चला गया
किसी को कुछ भी पता नहीं
पिछले कई दिनों से
उसके न रहने से कचहरी के मनोरंजन में
छा गई बैचेनी, खामोशी
अवरुद्ध सा हो गया हँसी का फव्वारा
गुम सी हो गई कचहरी में दिन भर तक काम समाप्त कर वापस घर लौट
जाने की बड़ी शान्ति।
पूरा पागल था वह
सभी यही कहते।
वह पागल था, क्योंकि
जलपान की दुकान पर लोगों के छोड़े जूठन खाकर
मिटाया करता अपनी भूख आवारा कुत्तों की भाँति
गंदे पानी पीकर बुझाता दिन भर की प्यास
सड़क पर रात्रि विश्राम कर कटती जिसकी जिन्दगी
नहीं दिख रहा कई-कई दिनों से इधर
नास्ता, चाय-पान की दुकानों पर
वकीलों-मुवक्किलों के बैठकखानों के आजु-बाजू
शरारती किस्म के लड़के चाह रहे जबकि वह दिखे उनके दिन भर के काम
के बीच
फूर्सत में हँसी की तरह
पहली नजर उसके दीदार से जिनके बीतते दिन शुभ।
भीड़ के बीच से अनायास खो जाने से उसके
झलक रही परेशानी।
उसके इन्तजार में विश्राम करने वालों के चेहरे पर
जिस-जिस रास्ते उसका जाना-आना होता लम्बे समय से अक्सर हाँ
किसी ने कहा, पड़ी थी
गटर किनारे उसकी लाश।
चार पहिऐ वाहन से कुचल कर हो गई होगी मौत
भूरभूरी पुल के समीप किसी अन्य ने कहा।
पहले उड़ती हुई
किन्तु बाद में बिल्कुल पक्की खबर आई दोस्तों!
एक भारी वाहन की चपेट में गवाँ बैठा अपनी जान
उसी कमउम्र लड़के को बचाने के दौरान
देखने के बाद ही जिसको हो जाता था वह आपे से बाहर, सबसे अधिक
महसूसता था जिससे खीज।
पूरी तरह कुचल जाने के बाद भी
चेहरे पर मुस्कुराहटें वैसी की वैसी थीं उसकी
कई-कई दिनों के इन्तजार के बाद
लोगों को यदा-कदा जो दिखा करता
चर्चा होती अब भी, एक पागल की
उससे प्रतिदिन प्राप्त होने वाले मनोरंजन की
लोग हँसते नहीं किन्तु अब
गीली हो जातीं आँखें उसके स्मरण मात्र से
देखी जाती चेहरे पर उनके
एक पागल की दुखद मौत की अंतिम तस्वीरें
२७ अक्तूबर २०१४
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