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अनुभूति में दिविक रमेश की रचनाएँ-

अंजुमन में
रात में भी
आए भी तो
हाक़िम हैं

कविताओं में
उम्मीद
एक बची हुई खुशी
बहुत कुछ है अभी
रहस्य अपना भी खुलता है
सबक
जीवन

क्षणिकाओं में
हस्तक्षेप

संकलन में
जग का मेला- चीं चीं चूं चूं

 

रात में भी

रात में भी रात की सी बात नहीं है
गाँव है कि गाँव में देहात नहीं है

न सही उरियाँ मगर दिल में तो निहाँ थी
आज तो पर दिल में भी वह बात नहीं है

किस किस को आपने न गुनहगार कहा है
है क्या जगह ऐसी भी जहाँ घात नहीं है?

इस दौर में भी मिल गया झुक झुक के कई बार
कैसे कहूँ कि कोई खुराफात नहीं है

टेढ़ा सवाल, पर भला मैं क्या जवाब दूँ
जो आदमी न रह सका बेबात नहीं है

क्या कहूँ कि लौटिए भी घर को ए दिविक
कीजिए भी क्या जो मुलाक़ात नहीं है

 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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