अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में हरे राम समीप की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपनी मुहब्बत बनी रहे
क्या अजब दुनिया
क्या हुआ उपवन में
तू भूख, प्यास, जुल्म
सवाल काग़ज़ पर

अंजुमन में-
दावानल सोया है कोई
बदल गए हैं यहाँ
वेदना को शब्द
स्याह रातों में
हमको सोने की कलम

दोहे-
आएगी माँ आएगी
गर्व करें किस पर
प्रश्नोत्तर चलते रहे

छंदमुक्त में-
आस न छोड़ो
कविता भर ज़मीन
धीरज
पूजा
योगफल
शब्द
शोभा यात्रा
सड़क
सेल

 

  आस न छोड़ो

मुश्किल आई है
तो क्या है
यह भी जल्दी हट जाएगी

घुप्प अँधेरे कमरे में यों
मुश्किल ओढ़े
अवसादों से
घिरे हुए तुम
घबराए-से
क्यों बैठे हो

ज़रा टटोलो
दीवारों को
उम्मीदों की अँगुलियों के
कोमल ज़िंदा इन पोरों से
आहिस्ता-आहिस्ता खोजो
हाथों से दीवार न छोड़ो

कमरे की इन दीवारों में
कोई खिड़की निश्चित होगी
जिसके बाहर
बाँह पसारे स्वागत करने
नई रोशनी मिल जाएगी
जुगनू होंगे, दीपक होगा
चाँद–सितारे कुछ तो होंगे
सूरज भी आ ही जाएगा
आस न छोड़ो

मुश्किल में तुम
आस न छोड़ो

१६ जुलाई २००७

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter